सनसनी ऑफ़ इंडिया नेटवर्क
नई दिल्ली। एक हजार से ज्यादा लोगों के अकाउंट में सेंध लगाकर रकम ऐंठने वाले गैंग का भांडा फूटा है। दरियागंज पुलिस ने मास्टरमाइंड समेत पांच को गिरफ्तार किया है, जिनमें एक लड़की भी है। इनसे 10 मोबाइल फोन, कार, लोगों के अकाउंट से निकाले पैसे की डिटेल और बैंकों का डेटा बरामद हुआ है। आरोपियों की शिनाख्त मास्टरमाइंड उत्तम नगर के जैन कॉलोनी पार्ट-3 के पवन सिंह (27), नजफगढ़ के ढिचाऊं एनक्लेव के मोहम्मद जाहिद (22), ख्याला विष्णु गार्डन के कमल गोयल उर्फ छोटू (23), डाबड़ी के सीतापुरी के बंटी कुमार (23), उत्तम नगर के मोहन गार्डन की राधा (25) के तौर पर हुई है।
डीसीपी (सेंट्रल) संजय भाटिया ने बताया कि दो साल से सक्रिय इस गैंग ने हजार से ज्यादा लोगों को शिकार बनाया है। दरियागंज के अंसारी रोड में रहने वाले डॉ. विपिन भटनागर ने 18 अगस्त को शिकायत दी कि उनके क्रेडिट कार्ड से 1500 और 3599 रुपये ट्रांसफर हुए हैं। उन्होंने क्रेडिट कार्ड ब्लॉक करवा दिया। इसके बाद 31 हजार और 61 हजार रुपये के दो ट्रांजैक्शन फेल होने के मेसेज आए। एसीपी वीर सिंह की देखरेख में एसएचओ राकेश कुमार शर्मा, एसआई सोनल राज, रवींद्र कुमार, सुमित, विनीत पूनिया, एचसी विनोद, राजेंद्र, सिपाही संजीव, दीपक गिरी, इंद्रजीत की टीम बनाई गई।
तफ्तीश में सामने आया कि शिकायतकर्ता को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का इग्जेक्यूटिव बताते हुए दो-तीन कॉल आए थे। उनसे क्रेडिट कार्ड की डिटेल हासिल की गई। कॉलर ने पांच हजार रुपये कैश बैक का झांसा दिया। बदले में आईवीआर और ओटीपी शेयर करने को कहा गया। कॉल डिटेल और बैंक रिकॉर्ड्स खंगाले गए। एचसी विनोद कुमार को गैंग के बारे में कुछ क्लू भी मिल गए। पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। इन्होंने बताया कि बैंकों से क्रेडिट कार्ड का डेटा हासिल करते थे। फर्जी आईडी से सिम खरीदते और बैंक का इग्जेक्यूटिव बताकर लोगों को कॉल करते। कैश बैक का झांसा देते देकर आईवीआर और ओटीपी हासिल कर लेते। इसके बाद पीड़ित के क्रेडिट कार्ड से मोबाइल वॉलेट में पैसा ट्रांसफर कर लेते। फिर पैसे को खातों में ट्रांसफर किया जाता था। खाताधारकों को कमिशन दिया जाता था। कई मामलों में फैमिली से पैसा आने का झांसा देकर खातों में ट्रांसफर करवाते और फिर पैसे मांग लेते।
कंपनी की तरह चलता कारोबार
पवन सिंह गैंग का मास्टरमाइंड है, जिसने सेकंड सेमेस्टर के बाद बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग पढ़ाई छोड़ दी। वह गुड़गांव में एक कॉल सेंटर में जॉब करने लगा। वह ऑनलाइन फ्रॉड करने वाले एक शख्स के टच में आया। वह उसके साथ काम करने लगा। यहां उसने लोगों को ठगने की पूरी साजिश समझी। कुछ महीने बाद वह खुद उत्तम नगर इलाके में अकेले ही इस काम को करने लगा। लोगों की ठगी रकम से वह शाही जिंदगी जीने लगा। वह बैंकों से क्रेडिट कार्ड का डेटा जुटाता था। फर्जी आईडी के जरिए सिम और मोबाइल वॉलेट मुहैया कराता था। राधा और बंटी टेलिकॉलर का काम करते थे। कमल और जाहिद का काम बैंक अकाउंट्स का इंतजाम करना था।