कार्ड क्लोनिंग गैंग का पर्दाफाश

आरोपी अपना स्पा सेंटर चलाते थे और वहीं पर इन लोगों ने कार्ड क्लोनिंग मशीन रखी थी, जब भी कोई कार्ड से पैसे देता ये चुपके से कार्ड क्लोन कर लेते थे, फिर बाद में उस कार्ड की कॉपी बनाकर किसी भी एटीएम से कैश निकाल लेते थे.


सनसनी ऑफ़ इंडिया
नई दिल्ली।
दिल्ली पुलिस ने स्पा सेंटर चलाने वाले दो लोगों को द्वारका में एटीएम कार्ड की क्लोनिंग के आरोप में गिरफ्तार किया है. पुलिस ने सोमवार को द्वारका के सेक्टर 20 मार्बल मार्केट में राजेश शर्मा (52) और शमशेर (22) को दबोच लिया. पुलिस उपायुक्त (द्वारका) एंटो अल्फोंस ने कहा कि पुलिस को सूचना मिलने के बाद जाल बिछाया गया था कि धोखेबाज रात 10 बजे के आसपास आएंगे. डीसीपी ने कहा, साढ़े 10 बजे के आसपास शर्मा को गिरफ्तार किया गया था और बाद में, उसके बताने पर शमशेर को भी पकड़ लिया गया. पूछताछ के दौरान, आरोपियों ने खुलासा किया कि अगस्त में उन्होंने द्वारका सेक्टर-10 में एक स्पा सेंटर किराए पर लिया, जहां उन्होंने एक क्लोनिंग मशीन रखी थी. लगभग दो से तीन ग्राहक अपने कार्ड के माध्यम से सेवाओं के लिए भुगतान करते थे. जैसे ही ग्राहक अपना पिन डालते थे मशीन डेटा स्टोर हो जाता था. डीसीपी ने कहा कि आरोपी तब ग्राहकों को बताते थे कि मशीन काम नहीं कर रही है और दूसरी स्वैपिंग मशीनों से पेमेंट लेते थे. बाद में स्टोर किया गया डेटा दूसरे लैपटाप पर डाउनलोड किया जाता था और एमएसआर मशीन का उपयोग करके इसे विभिन्न बैंकों के ब्लैंक कार्ड में ट्रांसफर कर दिया जाता था. आरोपी 15 से 20 दिनों तक इंतजार करते थे और फिर एटीएम से पैसे निकालते थे. डीसीपी ने कहा कि आरोपियों ने 500 क्लोन कार्ड्स का इस्तेमाल किया और 25 लाख रुपये से अधिक निकाल लिए. उन्होंने कहा कि कुल 11 क्लोनिंग डिवाइस, विभिन्न बैंकों के 100 क्लोन कार्ड, एक लैपटॉप और एक मैग्नेटिक स्ट्रिप रीडर मशीन उनके कब्जे से बरामद की गई.


ऐसे वारदात को देते थे अंजाम
पुलिस के मुताबिक, इस गोरखधंधे का मास्टरमाइंड राजेश शर्मा नाम का शख्स है. पुलिस ने राजेश के पास से कुल 100 क्लोन कार्ड, 11 स्वैपिंग मशीन, लैपटॉप, और मैगनेटिक स्ट्रिप बरामद की. राजेश द्वारका सेक्टर 23 में स्पा सेंटर चलाता था. वहां पर जो भी कार्ड देता उसका सारा डेटा ये चुरा लेते, बाद में उस डेटा को मैग्नेटिक स्ट्रिप रीडर के लैपटॉप में ट्रांसफर करते, फिर प्लेन कार्ड में उसे डाल देते. एटीमएम पिन ये उसी वक्त चुपके से देख लेते जब कस्टमर मशीन में उसे टाइप कर रहा होता था. एक बार कार्ड तैयार हो जाता था तो फिर ये दिल्ली के किसी भी कोने में जाते और कैश निकाल लेते.


500 कार्ड क्लोन, 25 लाख कैश
जांच में पता लगा कि राजेश पर धोखेधड़ी और जालसाजी के कई मुकदमें पहले से ही चल रहे हैं. पहली बार राजेश 1998 में गिरफ्तार हुआ था. इसने कार्ड क्लोनिंग की पूरी जानकारी ऑनलाइन ली थी. इसके बाद इसने ऑनलाइन ही कार्ड कार्ड स्वैप मशीन और मैगनेटिग स्ट्रिप कार्ड रीडर मंगवाया था. डेटा ट्रांसफऱ करने के लिए इसने जमैका के एक शख्स से सॉफ्टवेयर खरीदा था. जानकारी के मुताबिक पिछले चार महीने में राजेश ने करीब 500 कार्ड क्लोन कर लिए जिनसे इसने 25 लाख कैश निकाल लिया.