मैं शिक्षा विभाग हरियाणे का


आप शायद मुझे नहीं जानते।जानते तो होंगे लेकिन यकीन मानिए अब आप पहचानते नहीं हैं क्योंकि वक्त की रफ़्तार और समय दर समय मेरे साथ किए गए विभिन्न प्रकार के प्रयोगों ने मेरी शक्लो सूरत ही बदलकर रख दी।जिस कारण से मुझे आप अच्छे से पहचान नहीं पा रहे हैं।वैसे मैं आपको इतना बता देता हूँ कि आप सभी का वास्ता मेरे से रहा है और आजकल तो हरेक का वास्ता सिर्फ और सिर्फ मेरे से ही है जी।अब देखो ना पौधे लगाने हो तो सबसे ज्यादा संख्या में मेरे अलावा कौन लगा सकता है।वोट बनवानी हो,कटवानी हो तो वो भी मेरे अलावा कोई नहीं कर सकता।अरे हाँ,कोई भी,किसी भी किस्म की रैली निकलवानी हो तो ये कॉन्ट्रैक्ट भी मुझे ही दिया जाता है।सच में मुझे भी याद ही नहीं कि मैं कितनी और किस विषय पर सुबह,दोपहर और शाम को रैलियां निकाल चुका हूँ।मेरे ऊपर इतने प्रयोग किए जा चुके हैं जिससे खुद प्रयोगशाला भी शरमा चुकी है लेकिन मजाल है कि कोई मुझ पर प्रयोग करना छोड़ दे और तो और कमाल की बात तो यह भी है कि आज तक मुझे पर जितने भी प्रयोग किए गए वो सब झाड़ फूंक रूप में ही थे,इसे आप मजे लेना भी कह सकते हैं मतलब ये कि आज तक कोई भी प्रयोग मतलब झाड़ फूंक पूरी नहीं की गयी बल्कि अधर में ही छोड़ दी गयी क्योंकि जितने भी वैज्ञानिक आए,वो टिक ही नहीं पाए और गजब तो ये भी है कि हर वैज्ञानिक ने अपनी ही चलाई।मेरे से तो कभी भी किसी ने कुछ भी पूछा ही नहीं।
अब देखो एक वैज्ञानिक आए और बैग फ्री डे करके चलते बने,एक आए बोले क्वेश्चन बैंक बनाओ,जोर शोर से काम शुरू हुआ लेकिन टांय टांय फिस्स,फिर एक जनाब ने कहा कि रिपोर्ट कार्ड बहुत जरुरी है,पता नहीं आनन फानन में कहाँ से आ गए रिपोर्ट कार्ड पर ये क्या अब तो रिपोर्ट कार्ड दिखाई ही नहीं देते।किसी ने टीचर डायरी लगवाई,लेट लतीफ़ आई और रह रहकर आ ही जाती है जब तक आती है तब तक आधा सत्र बीत चुका होता है।एक जनाब आए पत्रिका ही निकाल बैठे पर ये क्या अब वो ऑनलाइन हो गयी,ऑफलाइन का तो पता ही नहीं,वैसे ये पत्रिका कंपल्सरी कर दी थी पर न जाने क्या क्या कंपल्सरी हो चुका है लेकिन बाद में तो सब कुछ.....।खेर,अब कोई वैज्ञानिक फिर से आया और सक्षम लागू कर गया,अता-पता कुछ नहीं बस चला दिया,चला क्या दिया पेल दिया,सन्डे क्लास,एक दिन में तीन तीन एग्जाम और उसी दिन मार्किंग और उपलोडिंग।सक्षम भी शुरू में दो विषयों का और अब चार विषयों का।मानों बाकि विषय तो विषय ही नहीं होते।और अब एक और वैज्ञानिक आया बोला सक्षम वृद्धि करेंगे।पिछली की तो फूँक निकल चुकी है।कमाल तो ये भी है नए नए शब्द भी यहीं खोजे जाते हैं जैसे केपट,ब्लाक,सरप्लस उधर सरकार खाली पदों पर भर्ती के विज्ञापन निकाल रही है और इधर जो वर्षों पहले भर्ती हुए पड़े हैं वो ही फ़ालतू हो रहे हैं और तो और कामों की फेहरिस्त इतनी लम्बी है कि अगर मैं अपनी व्यथा बताऊँ तो बस...।आजकल तो एक और नया फंडा चला है कि काम तो सारे ऑनलाइन होंगे लेकिन मोबाइल कोई नहीं रखेगा और तो और एक चॉक लिट एप्प सभी को जरुरी डाउनलोड करनी ही होगी,नहीं तो वेतन नहीं मिलेगा।अरे हाँ,आजकल ये नया प्रयोग हो रहा है मेरे साथ,चाहे कुछ भी हो बस वेतन रोक लेंगे,वेतन न हुआ मानो एस वाई एल का पानी हो गया,जब चाहा रोक लो,जब चाहा छोड़ दो।अब सारी फैमिली के बारे में बताओ,बताओ नहीं लिखकर दो,अब तो ऐसे लगने लगा है मानों मैं शिक्षा विभाग नहीं नहीं बल्कि कोई आई एस आई का अड्डा हुँ।जी हाँ,आप सही जान गए हो,मैं शिक्षा विभाग हरियाणा हूँ,जहाँ सीनियर को छोड़कर जूनियर को प्रमोशन दे दी जाती है,रेगुलर भर्ती हुओं को कॉन्ट्रैक्ट ज्वाइन करवाया जाता है,डिजिटल इंडिया की मुहीम चलाकर कंप्यूटर टीचर को बार बार हटाकर फिर से लगाया जाता है।अच्छा नमस्ते।कोई रखवाला नहीं है मेरा,मुझे पता है।खेर पढ़ते रहिए, बढ़ते रहिए !


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